पू. की दूसरी शताब्दी में पतंजलि ने अष्टाध्यायी पर महाभाष्य लिखा। यास्क ने निरुक्त (ई.पू. पाँचवीं शताब्दी) की रचना की, जिसमें वैदिक शब्दों की व्युत्पत्ति का विवेचन है। वेदों में अनेक छंदों का प्रयोग किया गया है।
अलाउद्दीन खिलजी के सैन्य अभियानों का वर्णन।
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ब्राह्मण ग्रंथ : वैदिक मंत्रों तथा संहिताओं की गद्य-टीकाओं को ब्राह्मण कहा जाता है। सभी वेदों के अलग-अलग ब्राह्मण ग्रंथ हैं। इन ब्राह्मण ग्रंथों से उत्तर वैदिककालीन आर्यों के विस्तार और उनके धार्मिक विश्वासों का ज्ञान होता है। प्राचीन ब्राह्मणों में ऐतरेय, शतपथ, पंचविश, तैत्तरीय आदि विशेष महत्त्वपूर्ण हैं। ऐतरेय ब्राह्मण से राज्याभिषेक तथा अभिषिक्त नृपतियों के नामों की जानकारी मिलती है तो शतपथ ब्राह्मण गांधार, शाल्य, केकय, कुरु, पांचाल, कोशल तथा विदेह के संबंध में महत्त्वपूर्ण सूचनाएँ देता है।
यूनानी-रोमन लेखकों के विवरण सिकंदर के पूर्व, उसके समकालीन तथा उसके पश्चात् की परिस्थितियों से संबंधित हैं। इसलिए इनको तीन वर्गों में बाँटा जा सकता है- सिकंदर के पूर्व के यूनानी लेखक, सिकंदर के समकालीन यूनानी लेखक, सिकंदर के बाद के लेखक।
अकाल और बाढ़ के समय बहुत से लोगो की मृत्यु भी हो गयी थी सरकार ने लोगो की पर्याप्त सहायता नही की थी। उस समय कोई भी भारतीय ब्रिटिशो को टैक्स देने में सक्षम नही था लेकिन फिर जो भारतीय टैक्स नही देता था उसे ब्रिटिश लोग जेल में डाल देते थे।
यावेळी डोंगरावर काही तंबू लावले होते. या तंबूंनाही आग लागली. सिलेंडरचा स्फोट झाला आणि शेकडोंचा बळी गेला आणि अनेकजण जखमी झाले.
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मांढरदेवीच्या यात्रेत तेव्हा नेमकं काय घडलं होतं?
सम्राट अशोक के अतिरिक्त अन्य शासकों ने भी अभिलेख उत्कीर्ण करवाए, यह अभिलेख सम्राट द्वारा किसी क्षेत्र पर विजय अथवा अन्य महत्वपूर्ण अवसर पर उत्कीर्ण करवाए जाते थे। प्राचीन भारत के सम्बन्ध कुछ महत्वपूर्ण अभिलेख इस प्रकार हैं – ओडिशा के खारवेल में हाथीगुम्फा अभिलेख, रूद्रदमन द्वरा उत्कीर्ण किया गया जूनागढ़ अभिलेख, सातवाहन शासक गौतमीपुत्र शातकर्णी का नासिक में गुफा में उत्कीर्ण किया गया अभिलेख, समुद्रगुप्त का प्रयागस्तम्भ अभिलेख, स्कंदगुप्त का जूनागढ़ अभिलेख, यशोवर्मन का मंदसौर अभिलेख, पुलकेशिन द्वितीय का ऐहोल अभिलेख, प्रतिहार सम्राट भोज का ग्वालियर अभिलेख तथा विजयसेन का देवपाड़ा अभिलेख।
जियाउद्दीन बरनी रचित तारीख-ए फिरोजशाही द्वारा बलबन के राज्याभिषेक से फिरोज तुगलक के शासनकाल के छठवें वर्ष तक के इतिहास की जानकारी मिलती है।
फ़ारस पर अरबी तथा तुर्कों के विजय के बाद ११वीं सदी में इन शासकों का ध्यान भारत की ओर गया। इसके पहले check here छिटपुट रूप से कुछ मुस्लिम शासक उत्तर भारत के कुछ इलाकों को जीत या राज कर चुके थे पर इनका प्रभुत्व तथा शासनकाल अधिक नहीं रहा था। हालाँकि अरब सागर के मार्ग से अरब के लोग दक्षिण भारत के कई इलाकों खासकर केरल से अपना व्यापार संबंध इससे कई सदी पहले से बनाए हुए थे, पर इससे भी इन दोनों प्रदेशों के बीच सांस्कृतिक आदान प्रदान बहुत कम ही हुआ था। दिल्ली सल्तनत[संपादित करें]
) में सामंती अर्थव्यवस्था विद्यमान थी।
(ग) उत्तर से दक्षिण चलने पर क्षितिज का स्थानांतरण और नयी नयी नक्षत्र राशियों का उदय होना। अरस्तु ने ही पहले पहल समशीतोष्ण कटिबंध की सीमा क्रांतिमंडल से घ्रुव वृत्त तक निश्चित की थी।